Skip to main content

ये बात जो न किसी हिन्दू और न ही किसी मुस्लिम को पता है, तो आप एक बार जरूर पड़े और जाने कुछ अच्छी बाते जो आप के भविष्य को बदल देगा ।

 Welcome to lifestyle blog post *

ऎसी बाते जो आप के भावनाओ और आप के संस्कारों  को बदल सकता है ।

  • 7 अक्टूबर 2012 को श्री आशाराम बापूजी  द्वारा लगाया गया नियम ।
  • हमे अपने भावनाओ को समझना जरूरी है ।
  • अपने साथ पूरे भारत  को ये सूचना जरूर पहूचाएं।
  • आज हमारा भारत देश  कुछ ऐसे संस्कारों को भूल रहा है ,जो हमे हमेशा उसका पालन करना चाहिए ।
तो आयिए जानते है कि ऐसी क्या बाते है जो हम जानते हुए भी भूल रहे है ।
7 अक्टूबर 2012 में बापूजी द्वारा लगाया गया संस्कारी नियम जो आज हमे  पूरे में सम्मान सहित उसका पालन करना चाहिए ।
 भले ही वो हिन्दू हो या मुस्लिम या किसी भी धर्म से हो ।

आज हम जानते है ,की हमारे भारत  देश के लोग अपने संस्कृत को भूल रहे है अपने संस्कारों को भूल रहे है । 

14 फरवरी के दिन सभी लोग Valentine Day  के रूप में एक  ऐसा दिन मानते है जो हमारे उद्देश्य हमारे संस्कारों को बर्बाद कर देगा , 14 फरवरी को हमें मातृ - पितृ पूजन करना चाहिए। 



                                             
 



पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रान्तिं च करोति यः।
तस्य वै पृथिवीजन्यफलं भवति निश्चितम्।।
"जो पुत्र माता-पिता की पूजा करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसे पृथ्वी-परिक्रमाजनित फल सुलभ हो जाता है।"
"प्रेम दिवस जरूर मनायें लेकिन प्रेम दिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए।" – पूज्य बापू जी
पूजन की विधिः
पूजन कराने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे विधि बोलता जाये और निम्नलिखित मंत्रों एवं आरती का मधुर स्वर में गायन करता जाय। तदनुसार बच्चे और माता-पिता पूजन को सम्पन्न करेंगे।
माता-पिता को स्वच्छ तथा ऊँचे आसन पर बिठायें।
आसने स्थापिते ह्यत्र पूजार्थं भवरोरिह।
भवन्तौ संस्थितौ तातौ पूर्यतां मे मनोरथः।।
अर्थात् ʹहे मेरे माता पिता ! आपके पूजन के लिए यह आसन मैंने स्थापित किया है। इसे आप ग्रहण करें और मेरा मनोरथ पूर्ण करें।ʹ
बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता के माथे पर कुंकुम का तिलक करें। तत्पश्चात् माता-पिता के सिर पर पुष्प एवं अक्षत रखें तथा फूलमाला पहनायें। अब माता-पिता की सात परिक्रमा करें। इससे उऩ्हें पृथ्वी परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
पुस्तक में दिये चित्र अऩुसार बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता को झुककर विधिवत् प्रणाम करें।
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
अर्थात् जो माता पिता और गुरु जनों को प्रणाम करता है और उऩकी सेवा करता है, उसकी आयु, विद्या, यश और बल चारों बढ़ते हैं। (मनुस्मृतिः 2.121)
आरतीः बच्चे-बच्चियाँ थाली में दीपक जलाकर माता-पिता की आरती करें और अपने माता-पिता एवं गुरु में ईश्वरीय भाव जगाते हुए उनकी सेवा करने का दृढ़ संकल्प करें।
दीपज्योतिः परं ब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोस्तु ते।।


कभी  ना मनाओ  ऐसा दिन जो  आने वाले  भविष्य में  हमारे  संस्कारों को भुला दे ।
वो  मनुष्य ही क्या जो अपने संस्कारों को भुला दे , उस मनुष्य की सभ्यता ही क्या होगी जो अपने माता - पिता की पूजा ना करे , और उसके दिए हुए संस्कारों को भुला दे ।  अगर आप इतना समझते हो की हमारे संस्कार क्या है क्या होगी तो आप सब ये मैसेज उन सभी लोगों तक पहुंचा दो जो अपने संस्कारों को भूल रहे है ।
अगर आप जानना चाहते है कि मातृ पितृ पूजन कैसे किया जाता है तो इस लिंक पर क्लिक करे और देखे ।
👇 

https://youtu.be/rxx1ffj1yFg

इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे । अगर आप समझते है कि ये हम सब  लिए उचित है तो । शेयर करे और सबस्क्राइब जरूर करे।
धन्यवाद ।

Comments

Popular posts from this blog

राम नाम की जय जय कार करने वाले लोग जरूर सुने

 Written by Rohit Maurya भारत का इतिहास कौन भूल सकता है (जैसे विक्रमादित्य के दरबार में कालिदास राज्य कवि थे और उन्होंने विक्रमादित्य को सामने रख कर काव्य लिखा) ऐसे ही पुष्यमित्रशुंग के दरबार में बाल्यमिकी राज्य कवि थे , और बाल्यामिकी ने पुष्यमित्रशुंग को सामने रख कर रामायण लिखा। राम कौन था ?  मौर्य साम्राज्य के दसवे शासक (brihadratha maurya)  का धोखे से हत्या करने वाला  पुष्यमित्रशुंग ही बना । और राम दसरथ का पुत्र भी नही था , वो श्रृंगऋषि का पुत्र था l ऐसा रामायण में भी लिखा गया है । दसरथ निपुत्र थे और  उनको संतान प्राप्त किया गया तो बायोलॉजिकली राम श्रृंगऋषि का पुत्र था । और राम कौन था सम्राट (brihadratha maurya) का हत्यारा था । और जब उसने ( brihadratha maurya) का हत्या किया तो वो पटना से भाग कर वाराणसी और वहां से भागा तो फैजाबाद में है और फैजाबाद के पास में जो 7 किलोमीटर का एरिया था उसने वहां अपना राजधानी बनाया अपना राज्य बनाया जिसका नाम अयोध्या रखा । अयोध्या नाम क्यों रखा ? और क्यों अयोध्या कहा जाता है? जिस राज्य को बिना युद्ध के जीता गया हो या बनाया गया उस ...

ये थी देश की प्रथम शिक्षित महिला, जिसने 100 साल पहले ही खोल दिए थे 18 महिला स्‍कूल..! उपासना बेहार

लेखक : रोहित मौर्य  अगर सावित्रीबाई फुले को प्रथम महिला शिक्षिका, प्रथम शिक्षाविद् और महिलाओं की मुक्तिदाता कहें तो कोई भी अतिशयोक्ति नही होगी, वो कवयित्री, अध्यापिका, समाजसेविका थीं। सावित्रीबाई फुले बाधाओं के बावजूद स्त्रियों को शिक्षा दिलाने के अपने संघर्ष में बिना धैर्य खोये और आत्मविश्वास के साथ डटी रहीं।  सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा के साथ मिलकर उन्नीसवीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों, शिक्षा छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह तथा विधवा-विवाह जैसी कुरीतियां और समाज में व्याप्त अंधविश्वास, रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष किया। ज्योतिबा उनके मार्गदर्शन, संरक्षक, गुरु, प्रेरणा स्रोत तो थे, ही पर जब तक वो जीवित रहे सावित्रीबाई का होसला बढ़ाते रहे और किसी की परवाह ना करते हुए आगे बढने की प्रेरणा देते रहे। सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव नामक छोटे से गांव में हुआ था, 9 साल की अल्पआयु में उनकी शादी पूना के ज्योतिबा फुले के साथ किया गया। विवाह के समय सावित्री बाई फुले की कोई स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी वहीं ज्योतिबा फुले तीसरी कक्षा तक शिक...

एनजीओ का मतलब ngo of full from

एनजीओ के बारे में सूचनाएं  जो आप सब नहीं जानते होगे  यह , ngo का मतलब होता है non governmentle organization जिसमें सरकार की नीतियों या किसी भी तरह का कानून और न ही कोई हस्तक्षेप जो सरकार द्वारा किया जाए ।  अब आप लोगो को ये जानना जरूरी है कि इसको कैसे चलाए ।  इसमें कितने लोगों की संगठन होती है । एनजीओ को चलाने के लिए इसका registration करना होता है जो आज - कल online भी होता है और इसमें तीन प्रकार की category होती है  । और एनजीओ द्वारा गरीबों की मदद की जाती है । इसलिए मै भी एक संस्था चलना चहेता हूं , जो मौर्य संस्था  के नाम से होगा ।  आप सब लोगों को इसमें शामिल होना है , और कुछ उन गरीबों के लिए करना है जो आज के इस जमाने में भी भूखे रहकर जीते है उनके पास घर नहीं होता उनके बच्चे अशिक्षित ही रहे जाते है । पर हम उन्हें भी जागरूक करना है हमें उनके लिए सब कुछ करना है ।  आज भारत वर्श में कुछ ऐसे लोग है को केवल गरीबों के लिए अच्छा काम करते है कई तरह - तरह के संस्था चलते है  इसलिए आप सब लोग साथ दो जिससे यह संस्था चलाया जाए जो गरीबों ...