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यह 5 बातें जो विद्यार्थी के अंदर होना अति आवश्यक है , अगर यह 5 नियम अपना लो तो तुम्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता ।

लेखक :  रोहित मौर्य  

कहा  जाता है जो बचपन में पढ़ने में मन नहीं लगाता ,उसकी जवानी  बड़ी असमंजस में पड़ जाती है।

और पढ़ने से ज्यादा सुख और कहीं नहीं है ।
पांच फार्मूले विद्यार्थी को याद रखना चाहिए ।

काक चेष्टा, बको ध्यानं,

 स्वान निद्रा तथैव च ।

 अल्पहारी, गृहत्यागी,

 विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥

भावार्थ:

 एक विद्यार्थी मे यह पाँच लक्षण होने चाहिए ।।

  (१)  कौवे की तरह जानने की चेष्टा   (एक कौवा अपने बच्चे  को चतुराई   सिखा रहा था कि आदमी आ रहा हो तो चिंता के विषय की बात नहीं है , बोला क्यों ? क्योंकि जब आदमी झुकेगा तो पत्थर उठाकर तुझको मारेगा । अगर आदमी झुका और पत्थर उठाया तो समझ लेना कि वह तुझे मारेगा और उसके मारने से पहले उड़ जाना । तो कौवे  के बच्चे ने कहा कि पापा यदि वह घर से ही पत्थर उठाकर लाए और ना झुके मार दे तो ? तो  कौवा हंस कर बोला तुझे चतुराई सिखाने की जरूरत नहीं है तू बहुत बड़ा खिलाड़ी है ) तो कौवे के बच्चे के जैसे विद्यार्थी बच्चों को चतुर होना चाहिए , उसके अंदर कैचिंग पॉवर होनी चाहिए।

  (२)  बगुले की तरह ध्यान (  और बगुले जैसा ध्यान लगाओ , जैसे बगुला तालाब में मछली पकड़ने के लिए एक पैर को उठाया रहता है और एक पैर पर खड़ा होता है तो दिखने में लगता है कि बगुला पंगुल है एक टांग में चोट लगी है इसलिए वह दूसरा पैर जमीन पर नहीं रख पा रहा है लेकिन दर्द नहीं है चोट नहीं है टांग टूटी नहीं है बगुला इसलिए टांग उठा कर तैयार है की मछली दिखाई दे तो  टांग उठा ना ना पड़े टांग और चोंच  दोनों साथ में डूबा दूं  क्योंकि अगर पहले से ही टांग को ऊपर करके नहीं रखोगे और बाद में उठाओगे तो पानी हिल जाएगा और मछलियां भाग जाएंगे इसलिए टांग को पहले से ही उठा कर रखो चोंच और टांग दोनों एक साथ डूबा कर मछली पकड़ लो ) तो जैसे बगुला मछली पकड़ने में ध्यान लगाता है इसी तरह से अपने सब्जेक्ट को अपने विषय को अपने अंदर प्रवेश करो । 

   (३) कुत्ते की तरह सोना /  ( और कुत्ते की तरह नींद होनी चाहिए जैसे कुत्ते के पास से गुजरो तो ,  तो कुत्ता आंख खोल कर देख लेता है और कुत्ता बड़ा होशियार होते हैं उसका नाम कुत्ता क्यों है इसलिए है क्योंकि वह आदमी को देखकर कूत लेता है कूत अंदाज़ लगाना , आइडिया , परख लेना, समझ लेना और समझ लेना उसको रीडिंग कर लेना कि आदमी कैसा है और जो रीडिंग करना जानता है  उसके  पास से गुजरते हुए आदमी को आंख खोलकर देख लेता है और समझ लेता है कि आदमी सही है या गलत अगर आदमी गलत है तो छलांग लगाकर भौंकने लगता है अपने मालिक को सूचित करता है कि यह आदमी गलत है तो कुत्ते जैसी नींद हो   । क्योंकि कुछ लोगों की ऐसी नींद है चाहे पास से कोई मनुष्य या जानवर  चला जाए तो भी उन्हें पता नहीं चलता आंख खुलेगी ही नहीं कुंभकरण की तरह सोते हैं विद्यार्थियों की नींद जल्दी टूटनी चाहिए भले ही 1 घंटे कम सोने को मिले क्योंकि अधिक सोने से कुछ लाभ नहीं मिलती । कुछ लोग सोचते हैं कि हमें अधिक सोने से  हमें लोग बहादुर कहेंगे उस व्यक्ति को यह नहीं पता कि लोग उसे क्या कहेंगे लोग उसे मक्कार कहेंगे । इसलिए हर व्यक्ति को जागने में अलर्ट होना चाहिए ।

(४) अल्पाहारी, अधिक खाने वाला ( अल्पाहारी और विद्यार्थी को भूख से कम खाना खाना चाहिए)

(५)  और गृह-संस्कार होना  ( गृह त्यागी जब तक विद्यार्थी जीवन है तब तक शादी भी नहीं करना चाहिए ना तो संसार की विषय भोग करो ब्रह्मचर्य से रहना चाहिए ब्रह्मचर्य में इतनी शक्ति है दिमाग इतना तेज होता है तेजस्वी बनोगे , आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांकते कापै । अपने तेज को संभालो तो सही फिर देखो आप कितने तेजस्वी बनोगे महान बनोगे इतनी बुद्धि कुशल होगी  आपकी जो एक बार देख लोगे वह दोबारा नहीं पढ़ना पड़ेगा और याद हो जाएगा । अपनी शक्ति को संभालो । तो विद्यार्थी को त्यागी भी होना चाहिए  गंदी पिक्चर मत देखो गंदी सीरियल मत देखो गंदे गाने मत सुनो मन को वश में करना है और अपना आत्मविश्वास बढ़ाओ । बिल्कुल मन को नियंत्रित करके रखो । तुम्हारे पास बहुत बड़ी बुद्धि का खजाना है तुम साधारण व्यक्ति नहीं हो तुम बहुत बुद्धिमान हो लेकिन तुम्हारी बुद्धि तुम्हारी शक्ति यत्र तत्र बिखर जाती है इसलिए तुम साधारण रह जाते हो अपनी बुद्धि को एकाग्र करके अपनी विषय शिक्षा को केंद्रित कर दो तो तो तुम भी एक नया इतिहास  रच  सकते हो । 


और यह  आठ लक्षण विद्यार्थियों के अंदर नहीं होनी चाहिए ।


कामक्रोधौ तथा लोभं स्वायु श्रृड्गारकौतुरके। अतिनिद्रातिसेवे च विद्यार्थी ह्मष्ट वर्जयेत्।।

अर्थात- 

विद्यार्धी के लिए आवश्यक है कि वह काम, क्रोध तथा लोभ से और स्वादिष्ठ पदार्थों तथा श्रृंगार एवं हंसी-मजाक से दूर रहे। निद्रा (नींद) और अपनी शरीर सेवा में अधिक समय न दे। इन आठों के त्याग से ही विद्यार्थी को विद्या प्राप्त हो सकती है।

 1. काम जिस व्यक्ति के मन में काम भावनाएं उत्पन्न हो जाती है, वह हर समय अशांत रहने लगता है।  ऐसा व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए सही-गलत कोई भी रास्ता अपना सकता है।  कोई भी छात्र अगर काम भावनाओं के चक्कर में पड़ रहा है, तो वह पढ़ाई छोड़कर दूसरे कामों की ओर आकर्षित होने लगता है।  उसका सारा ध्यान केवल अपनी काम भावना की ओर जाने लगता है और वह पढ़ाई-लिखाई से बहुत दूर हो जाता है।  इसलिए विद्यर्थियों को ऐसी भावनाओं से बचना चाहिए।

2. क्रोध जिस व्यक्ति का स्वभाव क्रोध वाला हो, वह छोटी सी बात पर भी किसी ऐसा कुछ कर सकता है, जिसके कारण आगे जाकर पछताना पड़े। ऐसे लोग क्रोध आने पर ये किसी का भी बुरा कर बैठते है। क्रोधि स्वभाव से मनुष्य का मन कभी भी शांत नहीं रहता। विद्या प्राप्त करने के लिए मन का शांत और एकचित्त होना बहुत जरूरी होता है। अशांत मन से शिक्षा प्राप्त करने पर मनुष्य केवल उस ज्ञान को सुनता है, उसे समझ कर उसका पालन कभी नहीं कर पाता। इसलिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए मनुष्य को अपने क्रोध पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है।


3. लोभ लालची इंसान अपने फायदे के लिए किसी के साथ भी धोखा कर सकते हैं।  ऐसे व्यक्ति धर्म-अधर्म के बारे में नहीं सोचते।  जिसके मन में दूसरों की वस्तु पाने का भाव होता है, वह व्यक्ति हमेशा ऐसी बात के बारे में सोचता रहता है।  ऐसे व्यक्ति का मन हर वक्त दूसरों की वस्तु पाने की योजना बनाने में लगा रहता है।  ऐसा विद्यार्थी कभी भी अपनी विद्या के बारे में सतर्क नहीं रहता है और अपना सारा समय अपने लालच को पूरा करने में गंवा देता है।  विद्यार्थी को कभी भी अपने मन में लोभ या लालच की भावना नहीं आने देना चाहिए।


4. स्वादिष्ठ पदार्थ जिस इंसान का जुबान उसके वश में नहीं होती, वह हमेशा ही स्वादिष्ठ पदार्थ खोजता रहता है। ऐसा व्यक्ति अन्य बातों को छोड़ कर केवल खाने को ही सबसे ज्यादा महत्व देता है। कई बार स्वादिष्ठ पदार्थ के चक्कर के मनुष्य अपने स्वास्थ तक के साथ समझौता कर बैठता है। विद्यार्थी को अपनी जुबान वश में रखनी चाहिए, ताकी वह अपने स्वास्थय और अपनी विद्या दोनों ध्यान रख सके।


5. श्रृंगार (सजना-सवरना) जिस भी विद्यार्थी का मन अपने साज-श्रृंगार पर होता है, वह अपना अधिक से अधिक समय यहीं बातों सोचने में गवा देता है। ऐसे व्यक्ति खुद को हर वक्त सबसे सुंदर और अलग दिखाना चाहता है। जिसकी वजह से पूरे समय उसके दिमान में अपने सौंदर्य, पहनावे और रहन-सहन के बारे में ही बाते चलती रहती है। साज-श्रृंगार के बारे में सोचने वाला व्यक्ति कभी भी एक जगह ध्यान केंद्रित करके विद्या नहीं प्राप्त कर पाता। विद्यार्थी को ऐसे परिस्थितियों से बचना चाहिए।



6. हंसी-मजाक विद्यार्थी जीवन का एक सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है गंभीरता। विद्यार्थी को शिक्षा प्राप्त करने और जीवन में सफलता पाने के लिए इय गुण को अपनाना बहुत जरूरी होता है। जो विद्यार्थी अपना सारा समय हंसी-मजाक में व्यर्थ कर देता है, वह कभी सफलता नहीं प्राप्त कर पाता। विद्य प्राप्त करने के लिए मन का स्थित होना बहुत जरूरी होता है और हंसी-मजाक में लगा रहना वाला विद्यार्थी अपने मन को कभी स्थिर नहीं रख पाता।



7. निद्रा (नींद) जरूरत से ज्यादा या देर तक सोना आलस की निशानी होता है। अलसी मनुष्य जीवन में मिलने वाले हर अवसर को खो देता है या उनका लाभ नहीं उठा पाता। नींद के अधीन रहने वाले विद्यार्थी कभी कोई काम ठीक तरीके से नहीं कर पाते। वे किसी भी काम को करने के लिए वे रास्ता खोजने की कोशिश करते है, जिनमें उन्हें के कम मेहनत करना पड़े। ऐसे विद्यार्थी ज्ञान भी केवल उसना ही प्राप्त करते है, जितना पास होने के लिए जरूरी होता है। पूर्म रूप से शिक्षा पाने के लिए विद्यार्थियों को अत्यधिक नींद का त्याग कर देना चाहिए।



8. अपनी शरीर सेवा मनुष्य को अपने छात्र जीवन में आने वाली कठिनाइयों पर कम और अपनी विद्या पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।  कई बार पढ़ते समय मनुष्य को शारीरिक धकान का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन छात्रों को अपने शरीर की सेवा से ज्यादा महत्व अपने छात्र को देना चाहिए।  छात्र को कभी भी अपनी शारीरिक सेवाओं और आसम को अपनी विद्या के रास्ते में बाधा नहीं बनने देना चाहिए।

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