लेखक : रोहित मौर्य अगर सावित्रीबाई फुले को प्रथम महिला शिक्षिका, प्रथम शिक्षाविद् और महिलाओं की मुक्तिदाता कहें तो कोई भी अतिशयोक्ति नही होगी, वो कवयित्री, अध्यापिका, समाजसेविका थीं। सावित्रीबाई फुले बाधाओं के बावजूद स्त्रियों को शिक्षा दिलाने के अपने संघर्ष में बिना धैर्य खोये और आत्मविश्वास के साथ डटी रहीं। सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा के साथ मिलकर उन्नीसवीं सदी में स्त्रियों के अधिकारों, शिक्षा छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह तथा विधवा-विवाह जैसी कुरीतियां और समाज में व्याप्त अंधविश्वास, रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष किया। ज्योतिबा उनके मार्गदर्शन, संरक्षक, गुरु, प्रेरणा स्रोत तो थे, ही पर जब तक वो जीवित रहे सावित्रीबाई का होसला बढ़ाते रहे और किसी की परवाह ना करते हुए आगे बढने की प्रेरणा देते रहे। सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव नामक छोटे से गांव में हुआ था, 9 साल की अल्पआयु में उनकी शादी पूना के ज्योतिबा फुले के साथ किया गया। विवाह के समय सावित्री बाई फुले की कोई स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी वहीं ज्योतिबा फुले तीसरी कक्षा तक शिक...
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